पटना में श्रवण श्रुति कार्यक्रम की शुरुआत, मूक-बधिर बच्चों के लिए नई आशा
बिहार की श्रवण श्रुति योजना अब आंदोलन बन गई है। 4.25 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग, 70 कॉक्लियर इम्प्लांट और 1,769 बच्चों को श्रवण यंत्र मिले।

पटना, श्रवण श्रुति अब सिर्फ एक योजना नहीं, एक आंदोलन है। इसने न सिर्फ बच्चों के कानों को ठीक किया, बल्कि उन्हें ऐसी आवाजें भी सुनाईं, जो पहले कभी नहीं सुनी जाती थीं। यह समावेशी और संवेदनशील स्वास्थ्य व्यवस्था का प्रतीक बन गया है।
बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं विधि विभाग के मंत्री मंगल पांडेय ने सोमवार को यह बातें कहीं। वे ज्ञान भवन में श्रवण श्रुति कार्यक्रम में बोल रहे थे। मंत्री ने जिले के सभी 23 प्रखंडों में इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम की मौजूदगी में किया।
कार्यक्रम में राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक सुहर्ष भगत और अपर सचिव वैभव चौधरी भी शामिल हुए। मंत्री ने कहा कि गया के जिलाधिकारी रहते हुए त्यागराजन जी (अब पटना के डीएम) ने श्रवण श्रुति कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसे विश्व स्तर पर सराहा गया। इसे नेशनल समिट ऑन बेस्ट प्रैक्टिसेज के लिए चुना गया।
यह योजना अब राज्य स्तर पर लागू हो चुकी है और इसे राष्ट्रीय नीति में शामिल करने की अनुशंसा की गई है। यह योजना उन बच्चों के लिए थी, जो जन्म से या बचपन में सुन नहीं सकते थे। इसमें सरकार की कई योजनाएं जोड़ी गईं। इस मॉडल को पूरे देश में अपनाया जा सकता है।
इस योजना के तहत 2,659 आंगनवाड़ी केंद्रों में 4.25 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें से 1,739 बच्चों की बीईआर जाँच की गई। 70 बच्चों को कॉक्लियर इम्प्लांट दिए गए। 1,769 बच्चों को श्रवण यंत्र दिए गए। 1,839 बच्चे, जो पहले एक शब्द भी नहीं बोल पाते थे, अब स्पीच थेरेपी की मदद से बोलने लगे हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि यह योजना आज पटना जिले में शुरू की जा रही है। दो महीने पहले एक बैठक के बाद, इस कार्यक्रम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दो प्रखंडों - दानापुर और फुलवारीशरीफ में शुरू किया गया था। इस योजना से मूक-बधिर बच्चों को उचित सहायता मिलेगी। उन्होंने नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग के लिए जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए।
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