इंदौर में एक उठावना ऐसा भी, त्यौहार होने के कारण नहीं की रिश्तेदारों-परिचितों को शवयात्रा की खबर
इंदौर के साहित्यकार नरहरि पटेल के परिवार ने दीपावली पर शकुंतला पटेल के निधन पर निजी अंतिम संस्कार कर अनूठी मिसाल पेश की, शोकसभा भी नहीं रखी।
साहित्य और रंगकर्म से जुड़े इंदौर के प्रतिष्ठित पटेल परिवार ने अपने घर में हुई गमी में एक अनूठी मिसाल स्थापित की। साहित्यकार नरहरि पटेल की पत्नी और रंगकर्मी संजय पटेल की माताजी शकुंतला पटेल का शुक्रवार को निधन हो गया। दीपपर्व को देखते हुए पटेल परिवार ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों को खबर नहीं की। इससे ज्यादातर रिश्तेदारों व परिचितों को उनके निधन का पता ही नहीं चला। उन्हें सीधे रविवार को हुए उठावने की खबर मिली।
साहित्यकार नरहरि पटेल ने यह फैसला लिया था कि त्योहार का समय होने के कारण सब व्यस्त हैं, वे परेशान होंगे, इसलिए सबको खबर मत दो। संजय ने पिता की बात मानी और शवयात्रा की जानकारी सीमित रखी। हालांकि, यह फैसला पटेल परिवार से स्नेह रखने वाले परिचितों को नागवार भी गुजरा, वे शवयात्रा में भी शामिल होना चाहते थे, लेकिन कई लोगों ने लीक से हटकर लिए गए इस फैसले की प्रशंसा भी की। संजय पटेल ने अपने चुनिंदा दोस्तों, रिश्तेदारों और आस पड़ोसियों के साथ मां का अंतिम संस्कार किया। रिश्तेदारों को शवयात्रा का संदेश सोशल मीडिया में चलाने से भी मना किया।
शोक बैठक भी नहीं रखी
रविवार को उठावने का समय भी मात्र आधे घंटे का रखा गया। शाम चार से साढ़े चार बजे तक हुए उठावने में शहर के कई गणमान्य नागरिक, संगीतप्रेमी पहुंचे और शकुंलता पटेल के निधन पर शोक जताया। उत्सवी वेला के कारण उठावने के बाद कोई शोक बैठक भी नहीं करने के फैसला पटेल परिवार ने लिया है।
हिंदी: What's Your Reaction?
हिंदी: Like
0
हिंदी: Dislike
0
हिंदी: Love
0
हिंदी: Funny
0
गुस्सा
0
हिंदी: Sad
0
हिंदी: Wow
0
