खाते में सात करोड़, घर में 1500 सिम कार्ड, कई लैपटॉप, सत्तारूढ़ जदयू के नेता को EOU ने दबोचा
सुपौल में ईओयू पटना की टीम ने 19 घंटे तक चली छापेमारी में हर्षित के घर से दर्जनों सिम कार्ड, मोबाइल, गैजेट्स, बायोमेट्रिक डिवाइस और 7 करोड़ रुपये से जुड़ा बैंक खाता बरामद किया। आरोपी को पूछताछ के बाद पटना ले जाया गया।

आर्थिक अपराध इकाई पटना की टीम ने सुपौल जिले के करजाइन थाना क्षेत्र अंतर्गत परमानंदपुर पंचायत स्थित गोसपुर गांव में बड़ी कार्रवाई की है। टीम ने गांव के युवक हर्षित मिश्र को गिरफ्तार किया है। वह किसान परिवार से है। वह बीते कुछ वर्षों से खुद को शेयर बाजार का सफल कारोबारी बताता था। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई करोड़ों की ठगी और साइबर अपराध से जुड़ा है। हालांकि, इसको लेकर अधिकारी खुल कर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं।
अकाउंट में आये थे 7 करोड़ रुपए
8 स्कॉर्पियो से करीब 25 से 30 की संख्या में आई अधिकारियों की टीम ने शनिवार को दोपहर 2 बजे छापेमारी शुरू की। करीब 19 घंटे तक चली कार्रवाई में हर्षित के घर से दर्जनों सिम लगाने वाला गैजेट, सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस, नोट गिनने की मशीन समेत कई सामान जब्त किए गए। वही पूछताछ में हर्षित के पास से वह मोबाइल और लैपटॉप भी मिला, जो उस बैंक खाते से जुड़ा था, जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। यह खाता पहले ही साइबर पुलिस ने फ्रीज कर दिया था। इसी आधार पर टीम ने कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में ईओयू पटना की टीम के करीब तीन दर्जन सदस्य, सुपौल एसपी और साइबर थाना के अधिकारी शामिल थे। कार्रवाई के दौरान ईओयू और स्थानीय पुलिस ने मीडिया से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पूछताछ और कागजी प्रक्रिया के बाद हर्षित को पटना ले जाया गया। इसको लेकर करजाईन थानाध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि मामला आर्थिक इकाई का है। इससे पहले उसका किसी प्रकार की अपराधिक इतिहास इस थाने में दर्ज नहीं है।
शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पिता से जमीन बिकवा कर लिए थे रुपए
ग्रामीणों के मुताबिक, हर्षित 27 साल का है। वह विकास मिश्र का बड़ा बेटा है। पिता किसान हैं। दादा घनश्याम मिश्र पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। पहले परिवार के पास 50 बीघा से ज्यादा जमीन थी, जो धीरे-धीरे बिक गई। पढ़ाई के लिए हर्षित को फारबिसगंज और फिर पटना भेजा गया। तीन साल पहले हर्षित ने पिता से जमीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए। इसके बाद वह कभी-कभी गांव आता था।
तीन महीने पूर्व भाजपा छोड़ जदयू में शामिल हुआ
हर्षित पहले स्कॉर्पियो गाड़ी पर भाजपा का झंडा और दो बाउंसर लेकर घूमता था। लोग मानते रहे कि वह शेयर बाजार से कमाई कर रहा है। कुछ समय पहले उसने सरकार से बॉडीगार्ड की मांग भी की थी। हालांकि जांच में उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। पहले वह भाजपा कार्यकर्ता था। लेकिन तीन महीने पहले जदयू में शामिल हुआ। कथित तौर पर बड़े नेताओं से नजदीकी के चलते उसे जदयू युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बना दिया गया। कार्रवाई के बाद गांव में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। गांव में सन्नाटा है। एक बुजुर्ग ने कहा कि हर्षित का चाल-चलन बीते कुछ वर्षों से बदला हुआ था।
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