शहीद शिवशंकर गुप्ता के परिवार को राज्यपाल ने किया सम्मानित, कहा-सरकार ने नहीं किया वादा पूरा

कारगिल विजय दिवस पर पटना में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शहीद शिवशंकर गुप्ता के परिजनों को सम्मानित किया। बिहार रेजीमेंट के वीर सिपाही शिवशंकर ने दुश्मनों की गोलीबारी के बीच अपने साथी का शव लाकर वीरगति पाई थी। परिवार ने अब तक नौकरी न मिलने का मुद्दा उठाया।

हिंदी: Jul 27, 2025 - 02:30
 0  0
शहीद शिवशंकर गुप्ता के परिवार को राज्यपाल ने किया सम्मानित, कहा-सरकार ने नहीं किया वादा पूरा
शहीद शिवशंकर गुप्ता के परिवार का सम्मान करते हुए

कारगिल विजय दिवस पर शनिवार को पटना में 'द हिंदू फाउंडेशन, नागपुर' द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में औरंगाबाद के रफीगंज के बंचर गांव निवासी कारगिल शहीद शिवशंकर गुप्ता के परिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सम्मानित किया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, आरएसएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह मोहन सिंह एवं भाजपा के बिहार प्रदेश संगठन मंत्री भिखूभाई दलसानिया आदि मौजूद रहे।  

शहीद की पत्नी व पुत्र को मिला सम्मान

कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शहीद शिवशंकर गुप्ता की पत्नी रेखा देवी एवं पुत्र राहुल कुमार को अंग वस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान कारगिल  शहीद शिवशंकर गुप्ता के पुत्र राहुल कुमार ने राज्यपाल एवं उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन देते हुए कहा कि सरकार ने कारगिल शहीद के परिजनों को नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन अबतक उनके परिवार को नौकरी नहीं मिली है। उनका आग्रह है कि उनके परिवार के एक सदस्य  को सरकारी नौकरी दी जाए।

पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया नमन

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने कारगिल के अमर शहीदों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हे नमन किया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि कारगिल युद्ध में शिवशंकर गुप्ता बहादुरी के साथ शहीद हुए। अमर शहीद शिवशंकर गुप्ता का समर्पण, त्याग, बलिदान और कुर्बानी औरंगाबाद जिले के इतिहास में ज्योतिर्गमय प्रकाश की तरह चमकता रहेगा। ऐसे बहादुर सपूत के प्रति हमलोग हजार बार नतमस्तक हैं, जिन्होंने देश की अस्मिता की रक्षा के लिए कारगिल के युद्ध में शहादत दी।

कमांडर का शव लाने दुश्मन की मांद में घुस गए थे शिवशंकर गुप्ता

औरंगाबाद के रफीगंज प्रखंड के बंचर गांव निवासी नंदलाल गुप्ता और पूनम देवी के पुत्र शिवशंकर गुप्ता कारगिल युद्ध से ढाई साल पहले 28 अक्टूबर 1996 को सेना में भर्ती हुए थे। वह बिहार रेजीमेंट के पहली बटालियन में सिपाही थे। यह वही रेजीमेंट है, जिसने दुश्मनों पर सबसे पहले हमला किया था और यहीं से कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई थी। इस युद्ध में बिहार रेजिमेंट की बटालियन के सिपाहियों और अधिकारियों ने सबसे पहले शहादत दी थी। इसमें सिपाही शिवशंकर गुप्ता भी शामिल थे। जिस वक्त दुश्मनों ने बिहार रेजीमेंट की बटालियन पर हमला किया था, उस समय अग्रिम पंक्ति में लांस नायक गणेश प्रसाद यादव थे। दुश्मनों की गोलियों से वह शहीद हो गए थे। उस समय शिवशंकर भी वहां मौजूद थे। उन्होंने गणेश यादव के पार्थिव शरीर को लाना चाहा। वह साथी सैनिकों के साथ गणेश यादव का शव लाने के लिए आगे बढ़े। 14230 फुट ऊंची पथरीली व बर्फीली पहाड़ी पर पहुंच कर उन्होंने देखा कि कंपनी कमांडर लांस नायक का शव दुश्मन के मांद के पास पड़ा है। वे शव तक रेंगते हुए पहुंचे और हथियार-गोला नीचे ले आए। लांस नायक का शव लाने के लिए दोबारा फिर से पहाड़ी पर चढ़े। 50 मीटर तक पहुंचे तभी दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी। उन्हें गोली भी लगी लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मोर्चा संभालते हुए शिवशंकर ने भी दुश्मनों पर गोलीबारी की। करीब 2 घंटे तक दोनों ओर से फायरिंग होती रही। उस वक्त लांस नायक गणेश यादव के शव को दुश्मनों ने अपने कब्जे में ले लिया था। शिवशंकर गुप्ता दुश्मनों के पास पहुंच गए। जब वह शव को लेकर वापस लौट ही रहे थे तभी दुश्मनों ने फिर गोली चला दी। गोली लगने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और लांस नायक गणेश यादव के पार्थिव शरीर को कंधे पर लेकर अपने क्षेत्र में पहुंच गए। शिव शंकर गुप्ता को काफी गोली लगी थी। इस कारण उनका काफी खून बह गया था। ज्यादा खून बहने के कारण वे वहीं शहीद हो गए। इसके बाद 6 जून 1999 को सेना से शिवशंकर गुप्ता के परिवार को एक पत्र आया था। पत्र खोलने पर एक हजार रुपये और उनके पुत्र की शहादत की खबर थी। पत्र मिलने के एक महीने पहले तक परिवार को शहादत की कोई खबर नहीं थी। करीब 35 दिन बाद सेना के कुछ जवान शहीद शिव शंकर के पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंचे थे।

हिंदी: What's Your Reaction?

हिंदी: Like हिंदी: Like 0
हिंदी: Dislike हिंदी: Dislike 0
हिंदी: Love हिंदी: Love 0
हिंदी: Funny हिंदी: Funny 0
गुस्सा गुस्सा 0
हिंदी: Sad हिंदी: Sad 0
हिंदी: Wow हिंदी: Wow 0